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वीरेंद्र सिन्हा "अजनबी" द्वारा रचित शायरी, कविता, ग़ज़ल, किता, मुक्तक संग्रह
Monday, 25 January 2016
2-353 बहुत फ़ेंक ली दूसरों पर
बहुत फ़ेंक ली दूसरों पर, सब व्यर्थ गया,
चलो आज खुद पर स्याही फ़ेंक कर देखें...(वीरेंद्र)/2-353
रचना: वीरेंद्र सिन्हा "अजनबी"
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