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वीरेंद्र सिन्हा "अजनबी" द्वारा रचित शायरी, कविता, ग़ज़ल, किता, मुक्तक संग्रह
Sunday, 17 January 2016
1-716 इश्क मुहब्बत में भी
इश्क मुहब्बत में भी अब आ गई है सियासत देखिये,
वो मांगते हैं सबूत कि क़त्ल उनकी आँखों ने किया है..(वीरेंद्र)/1-716
रचना: वीरेंद्र सिन्हा "अजनबी"
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